नशे की लत में बर्बाद होता मोदरान का युवा ।
शराबीओ का आतंक पूरी पूरी रात घुमते है शराबी आम लोग परेशान ।
मोदरान । स्थानीय गांव सहित धनजी वाड़ा सेरना धानसा युवा वर्ग नशे की चपेट में है स्कूल में पड़ने वाले बच्चे पर भी गांजा व स्मेक का नशा न सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक दुष्प्रभाव डाल रहा है। नशे की पूर्ति के लिए अपराध से भी वह हिचक नहीं रहे हैं। सबसे बडी बात ये है के स्मेक गांजा अफीम आसानी से कैसे क्षेत्र में उपलब्ध कराया जारहा है ।
नशे के कारण सबसे अधिक प्रभावित युवा वर्ग है। इससे उनका मानसिक संतुलन खराब हो रहा है। एक बार नशे की लत में पड़ने के बाद इससे निकलना मुश्किल हो रहा है। युवा वर्ग इस दवाइयों की लत में इस कदर डूबा रहता है कि इसके दुष्परिणाम के बारे में नहीं सोचता। इसमें छोटे-छोटे बच्चे शामिल हैं। नशे की लत में सबसे अधिक 16 साल से लगाकर 30/35 वर्ष तक के लड़के शामिल हैं। इसकी शुरूआत पान गुटखा, तंबाकू आदि से हो रही है। इसके अलावा नशे के लिए सस्ते प्रोडक्ट व्हाइटनर, बोनफिक्स को भी झिल्ली में भरकर इसे नाक-मुंह से खींचकर नशापूर्ति का खूब इस्तेमाल हो रहा है। तंबाकू, शराब, दवा से नशे के लत की हुई शुरूआत बढ़कर कोकीन, मार्फिन तथा हेरोइन तक पहुंच रही है।बढ़ रही हिंसक प्रवृत्ति
गलत नचा करना अपराध लेकिन नशे की लत को पूरी करने के लिए बच्चे अपराध करने से भी नहीं हिचक रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में आये दिन हो रही चोरी, छिनैती में मुख्य रूप से युवा ही शामिल हो रहे हैं। यही नहीं रेलवे स्टेशन के आसपास घूमने वाले बच्चे चलती ट्रेन में भी वारदात करने से नहीं चूकते। नशे की लत इन पर हावी हो जाती है तो वह इसकी पूर्ति के लिए किसी की कोई भी गलत काम करने से भी से भी परहेज नहीं करते। अफीम ओर गांजा बहुत आसानी से उपलब्ध कराया जारहा है पुलिस की कोई कार्रवाई न होने से इसका प्रचलन बढ़ता जा रहा है ।
शराब पीना बनता जारहा है फैशन ।
हमारे समाज में नशे को सदा बुराइयों का प्रतीक माना और रात को 12 बजे बजे तक शराबी घूमते है गाँवो में जिससे आम लोगो को घर से बार निकलना होता है मुश्किल होता है लोगो को गाली गलौज तक भी उतारु होते है जिससे लोगो परेसानी का सामना करना पड़ रहा है लेकिन आजकल नशा यानी शराब पीना फैशन बनता जा रहा है। जबकि शराब को सभी बुराइयों का जड़ माना गया है। शराब के सेवन से मानव के विवेक के साथ सोचने समझने की शक्ति नष्ट हो जाती है। वह अपने हित-अहित और भले-बुरे का अंतर नहीं समझ पाता। इस पर एक गांधीजी की एक बात याद आती है कि शराब के सेवन से मनुष्य के शरीर और बुद्धि के साथ-साथ आत्मा का भी नाश हो जाता है। शराबी अनेक बीमारियों से ग्रसित हो जाता है।
क्षेत्र में गांजा व अफीम मिलना आम बात ।
अफीम खाने वाले सबसे अधिक कही अफीम बीमारियों से परेशान हैं। बड़े तो इसके शौकीन हैं ही बच्चे भी इससे अछूते नहीं हैं। अफीम ग्रसित हो रहे हैं। वहीं गांव में अफीम व गांजा पीने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जबकि हर जगह अफीम व गांजा मिल रहा है इस पर रोकथाम के लिए प्रशासन सुस्त है।
आदत में बदल जाता है शौक ।
नशे की चपेट में किशोर और युवा बहुत तेजी से आ रहे हैं। इसको बढ़ावा देने में हिन्दी सिनेमा और टीवी बहुत हद तक जिम्मेदार है। फिल्मी हीरो को धुंए का छल्ला उड़ाता देख उनके अंदर भी हीरो बनने की इच्छा होती है। शुरुआत तो नासमझी के कारण होती है, जो आगे जाकर लत बनती जारही है। यह आदत कमजोरी में तब्दील होती जारही है ।
दिमागी बीमारियों का भी खतरा
ब्लॉक बिसीएमो जसवंतपुरा दिलीप सिंह ने बताया कि तंबाकू के सेवन से मुंह, गले के कैंसर के अलावा फेफड़े पर भी इसका प्रभाव पड़ता है। इसके चलते मुंह में हमेशा छाले बने रहते हैं। जानकारी दी की नशीली दवाओं के सेवन से शरीर के स्वास्थ्य के साथ दिमागी बीमारियां भी होती हैं।

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